मिटटी
के बर्तन में खाना पकाने के फायदे ! कुम्हार से बड़ा वैज्ञानिक कोई नहीं, हमे नतमस्तक होना चाहिए
घी
भी मिट्टी की हांडी से ही निकालती थी दही का मट्ठा भी मिट्टी की हांडी में बनता था
अब मेरी समझ में आया कि हजारों साल से मिट्टी के बर्तन क्यों इस देश में आए हम भी
एल्युमीनियम बना सकते थे देखिए बात मैं आपसे कहने जा रहा हूं की हिंदुस्तान भी 2000
साल
पहले 5000 साल पहले एल्युमीनियम बना सकता था क्योंकि एलुमिनियम का रो मटेरियल
इस देश में भरपूर मात्रा में है बॉक्साइट. हिंदुस्तान में बॉक्साइट के भरपूर खजाने
भरे पड़े हैं कर्नाटक बहुत बड़ा भंडार तमिलनाडु आंध्र प्रदेश बॉक्साइट के बड़े
भंडार है हम भी बना सकते थे अगर बॉक्साइट है तो एल्युमीनियम बनाना कोई मुश्किल काम
नहीं है लेकिन हमने नहीं बनाया क्योंकि उसकी जरुरत नहीं थी हमको जरुरत थी मिट्टी
की हांडी इसलिए हमने मिट्टी की हांडी बनाई और उसी पर सारे रिसर्च और एक्सपेरिमेंट
किए इसलिए कुमारों की एक पूरी की पूरी जमात इस देश में खड़ी की गई थी तुमको भईया
मिट्टी के ही बर्तन बनाने हैं माने तुमसे बड़ा वैज्ञानिक कौन अब यह कुमार जो इतने
बड़े वैज्ञानिक हैं इस देश के जो मिट्टी के बर्तन बनाकर हजारों साल से दे रहे हैं
हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए हमने उनको नीची जाति बना दिया हम कैसे मुर्ख
लोग वह नीचे कहां है जरा बताइए अगर प्रेशर कुकर की कंपनी जो बना रही है प्रेशर
कुकर वो ऊंचा आदमी है तो यह कुमार नीचा कैसे हो गया यह ऊंचा नीचा हमने डाल दिया इस
देश में इसी ने देश का सत्यानाश कर दिया !
इस
विडियो में देखिए फाइव स्टार होटल में मिटटी के बर्तनों में खाना बनता है
यह
ऊंचा नीचा कुछ तो अंग्रेजों ने डाला और कुछ अंग्रेजों के पहले जो मुसलमान थे
उन्होंने डाला और कुछ अंग्रेज और मुसलमानों के जाने के बाद हम काले अंग्रेजों ने
इसको ऐसा पक्का बना दिया कि कुमार इस देश में बैकवर्ड क्लास है जो सबसे बड़ा
वैज्ञानिक काम कर रहा है मिट्टी के बर्तन बना बना के आप के माइक्रो न्यूट्रीएंट्स
को आप के सूक्ष्म पोषक तत्वों को कम नहीं होने देने के लिए मिट्टी का सिलेक्शन
करता है वो आपको मालूम है की हर एक मिट्टी से बर्तन नहीं बनते एक खास तरह की
मिट्टी है वही बर्तन बनाने में काम आती है और एक खास तरह की मिट्टी है जो हांडी
बनाती है दूसरे खास तरह की मिट्टी है जिससे कुल्लड बनता है तीसरे खास तरह की
मिट्टी में कुछ और बनता है यह मिट्टी को पहचानने कि इसमें कैल्शियम ज्यादा है
इसमें मैग्नीशियम ज्यादा है कि इसलिए हांड़ी इस से बनाओ
इसमें
मैग्नीशियम कम है इसलिए इसका कुल्हड़ बनाओ यह तो बहुत बहुत बारीक और विज्ञान का
काम है यह सब कुम्हार कर रहे हैं हजारों सालों से कर रहे हैं बिना किसी
यूनिवर्सिटी में पड़े हुए कर रहे हैं तो हमें तो वंदन करना चाहिए उनके सामने
नतमस्तक होना चाहिए कितने महान लोग हैं दुर्भाग्य से सरकार की कैटेगिरी में वह
बैकवर्ड क्लास में आते हैं तो यह जो मिट्टी के बर्तन की बात हुई वह मिट्टी के
बर्तन की बात इसलिए कि माइक्रो न्यूट्रीएंट्स का सब कुछ सामान्य रहता है इसलिए
हमारे यहां मैलीनियम के बर्तन या दूसरे मेटल के बर्तन का चलन कम है भगवान के लिए
तो बनाते नहीं धातु के बर्तन में खाना नहीं बनता सभी मंदिरों में भोजन और प्रसाद
ज्यादातर मिट्टी के बर्तन तो आप भी कर लीजिए यह काम प्रेशर कुकर निकालिए मिट्टी की
हांडी ले आए तो आप कहेंगे जी दाल देर में पकेगी सिद्धांत
ही वही है दाल का तो जो देर में खेत में पक्की है वह देर में घर में भी पकेगी तो
आप बोलेंगे कि टाइम मैनेजमेंट कैसे होगा मैं आप को सरल बता देता हूं
दाल
को हांडी में रखकर चढ़ा दीजिए बाकी सब काम करते रहिए घंटे डेड घंटे में पक जाएगी
उतार लीजिए फिर खा लीजिए घंटे डेड घंटे में आपके झाड़ू पोछा दूसरे बर्तन साफ करना
कपड़े साफ करना या जो भी काम करना है पढ़ना लिखना बच्चों को पढ़ाना तो करते रहिए
वो दाल पकती रहेगी यह है बागवट जी का सूत्र कि ऐसा भोजन नहीं करना जो बनाते समय
पकाते समय सूर्य के प्रकाश से वंचित हो और पवन के स्पर्श से वंचित हो यह तभी संभव
है जब आप खुले बर्तन में खाना बनाएं तो पवन भी अंदर आए सूर्य का प्रकाश की किरणें
भी अंदर आए खुले बर्तन में और वह खुला बर्तन सबसे अच्छा मिट्टी का हांडी
आप
कहेंगे कि अगर मिट्टी की हांडी के बाद अगर कोई कोई चीज है तो हमारे यहां एक मैटल
बनता है जिसको आप लोग कहते हैं एलाय है कांसा कांसा आपने सुना है शायद देखा भी हो
किसी के घर में तो दूसरा सबसे अच्छा माना जाता है कांसा तीसरा सबसे अच्छा माना
जाता है पीतल अब यह कांसा और पीतल में भी हमने काम कर लिया की अरहर की दाल को कांसे
के बर्तन में पकाएं तो उसके सिर्फ 3% माइक्रो न्यूट्रीएंट्स
कम होते हैं 97% मेंटेन रहते हैं पीतल के बर्तन में पकाएं तो 7% कम होते हैं 93 परसेंट बचे रहते हैं
लेकिन प्रेशर कुकर में बनाएं तो सिर्फ 7% बचते हैं बाकी खत्म हो
जाते हैं
अब
आप तय कर लीजिए कि आपको लाइफ में क्वालिटी चाहिए तो आपको मिट्टी की हांडी की तरफ
ही जाना पड़ेगा क्वालिटी ऑफ लाइफ की अगर आप बात करेंगे तो माने जो खा रहे हैं वह
पूरे शरीर में पोषकता दे यह लाइफ की क्वालिटी की बात करेंगे तो मिट्टी की हांडी की
तरफ ही जाना पड़ेगा माने भारत की तरफ वापस लोटना पड़ेगा इंडिया से अभी हम हैं
इंडिया में जो बनाया अंग्रेजों ने या बना दिया अमेरिकियों ने इस इंडिया से निकलकर
भारत की यात्रा करनी पड़ेगी
और
मैंने पिछले एक दो वर्षों में ये बातें गांव-गांव में कहना शुरू किया है तो इसका
परिणाम पता क्या की कुम्हारों की इज्जत बढ़ गई है गांव में गांव वाले यह समझते हैं
कि यह तो कोई बड़ा काम कर रहे हैं हमारे लिए और मैं मानता हूं कि मेरे व्याख्यान
कि अगर कोई सार्थकता है तो यह कुम्हारों की इज्जत इतनी बढ़ जाएगी कि वह पंडितों के
बराबर आ जाएं क्योंकि वह किसी से नीचे नहीं है क्योंकि वह किसी से छोटे नहीं हैं
भले वह मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं बहुत वैज्ञानिक काम हो कर रहे हैं और मजे की
बात की वो हांड़ी बनाकर सिर्फ 200- 250 रूपये में ही दे रहे
हैं प्रेशर कुकर तो 1000 – 1500 रूपये का है और और सबसे मजे की बात जब हांडी खत्म होगी
माने इसके लाइफ पूरी हो जाएगी तो यह हांडी फिर मिट्टी में मिल जाएगी फिर वही
मिट्टी से हांडी बन जाएगी
अजय
प्रजापति - मुम्बई
सर्व प्रजापति शक्ति ट्रस्ट, मुम्बई
संपर्क: 8097672809/8422089566
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