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प्रजापति हीरोज★

 

■उद्गम एवम उसकी आवश्यकता

 

प्रजापति हीरोज की स्थापना का विचार अप्रैल मई 2014 में लाडनूं जिला नागौर राजस्थान निवासी व सेलम तमिलनाडु प्रवासी सत्यनारायण प्रजापति , दिनेश प्रजापति निवासी भोपाल मध्यप्रदेश, कृष्णदेव सिंह प्रजापति निवासी बिजनोर उत्तरप्रदेश, दिनेश जेठवा निवासी राजकोट गुजरात व कुछ अन्य प्रजापति समाज के बुद्धिजीवी बन्धुओं को उन परिस्थितियों को देखकर उतपन्न हुआ जब समाज के कुछ अग्रणी कहलाने वाले व प्रमुख संगठनों के लोग सोसल मीडिया पर एक दूसरे के खिलाफ बहुत ही आपत्तिजनक टिप्पणियां बड़े पैमाने पर कर रहे थे। जिसे देखकर मन बहुत दुखी व उद्वेलित हुआ और फेसबुक के कॉमेंट्स के जरिये ही उपरोक्त सभी ने एक साफ स्वच्छ व देशभर के बुद्धिजीवी समाज बंधुओं का एक राष्ट्रीय स्तर पर प्रजापति समाज का संगठन बनाने का निर्णय ले लिया। इस निर्णय में दिनेश प्रजापति भोपाल व सत्यनारायण प्रजापति सेलम ने आपसी विचार विमर्श कर एक व्हसत्सप्प समूह बना कर सोसल मीडिया के जरिये ही विभिन्न प्रदेशों के बुद्धिजीवी बन्धुओं से सम्पर्क कर उन्हें जोड़ने का जिम्मा सत्यनारायण प्रजापति को सौंपा जिन्होंने तुरन्त एक व्हाट्सएप्प समूह का निर्माण कर इस दौरान जो साथी फेसबुक वार्तालाप में सम्पर्क में थे व इस संगठन के निर्माण में रुचि रखते थे उन सबको जोड़कर लीक से हट कर संगठन को एक ऊर्जादायक व प्रेरक नाम देते हुए

 

इस संगठन का नाम प्रजापति हीरोज रखना सुनिश्चित किया व कुम्हार समाज के प्रतीक चिन्ह कलश के साथ समाज के बुद्धिजीवीयों की श्रृंखला के प्रतीक हाथ से जुड़ा हाथ का लोगो डिज़ाइन करने का कार्य हमारे युवा साथी व कंप्यूटर डिज़ाइनर होशियार सिंह प्रजापति गुड़गांव हरियाणा को सौंपा जिन्होंने उसे कल्पना के अनुसार बखूबी अंजाम दिया।

 

उस समय व्हाट्सएप्प ग्रुप की सदस्य संख्या के अनुरूप हर प्रदेश से लगभग 5 ही सदस्यों को जोड़ना सुनिश्चित हुआ था। 

 

सदस्यों का चयन इतना जटिल था कि 4-5 महीने गुजरने के बाद भी सदस्य संख्या 30 को पार नही कर सकी। शुरुआती दौर में सबसे अधिक सदस्य हरियाणा, उत्तरप्रदेश व गुजरात और राजस्थान से थे।

 

समूह निर्माण के बाद आपसी चर्चा में सभी साथियों ने आपस मे मिलकर परिचय करने व संगठन का विधिवत गठन करने हेतू एक स्थान पर मीटिंग करने का विचार रखा जिसके लिए सभी सहमत हुए पर मीटिंग के स्थान व स्वरूप को लेकर सभी साथियों में सहमति नही बन रही थी व कुछ लोग जो अन्य संगठनों से जुड़े होने के कारण बनती देख बिगाड़ने की नीयत से समूह में जबरदस्त कन्ट्रोवर्सी पैदा करदी ओर स्थिति टूटने के नजदीक ही ला कर खड़ी करदी। यानी गठन से पहले ही विगठन ।

 

इस सबके बावजूद हमारी इच्छा शक्ति बहुत मजबूत थी और हम 7- 8 साथियों ने ही जिनमे सत्यनारायण प्रजापति, दिनेश प्रजापति, के .डी. सिंह प्रजापति, सतीश सरोहा प्रजापति, होशियार सिंह प्रजापति आदि ने उस वक्त तक संगठन से नही जुड़े पंकज कुम्भार सूरत मूलनिवासी महाराष्ट्र , प्रजापति रमेश टाक, जय भगवान प्रजापति भिवानी, मुकेश भाई प्रजापति सूरत आदि के सहयोग से गुजरात के सूरत शहर में यह मीटिंग रखनी सुनिश्चित करली ओर इसको एक राष्ट्रीय सम्मेलन का स्वरूप देना तय कर लिया जिसकी स्थानीय जिम्मेदारी पंकज कुम्भार सूरत ने उठाने का वादा किया जिसमें हम सब साथियों ने तन मन धन से साथ दिया ।

 

अंततः दिनांक 27 अगस्त 2014 को सूरत के मोढ़ घांची वातानुकूलित सभागार में प्रजापति हीरोज के तत्वाधान में सूरत के अपने समाज के सभी गोळ (गोत्रीय संगठन) की व देश भर से आमंत्रित समाज बंधुओं की उपस्थिति में प्रजापति कुम्भकार स्वाभिमान सम्मेलन के रुप मे एक राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन सम्पन्न हो गया और उसमें प्रदेश भर के हीरोज साथी प्रथम बार रूबरू हुए जो हमेशा हमेशा के लिए एक दूसरे के बनकर समाज को एक नई दिशा देने हेतू वचनबध्द हो गए।